जय माँ तारा।
श्री सद्गुरु चरणं शरणम ममः
प्रिय आत्मन !
आज जो मंत्र व् विधान बताने जा रहा हूँ वह दुर्लभ तो है ही साथ में तुरन्त परिणाम भी देने वाला है
मै स्वम् प्रयोगों को करके अनुभव करता हूँ फिर आप को बताता हूँ अन्यथा नही ...
इस मंत्र का उत्पत्ति की कहानी भी बड़ी ही रोचक है
बंगाल में एक व्यक्ति था जो हकलाता था बात करते समय
इस समस्या का समाधान उसने अपने गुरु से पूछा
तो गुरु ने कहा की तेरी जिह्वा को बगला जी ही खिंच के ठीक कर सकती है
तू उसी देवी की उपसना कर
इस समस्या का समाधान उसने अपने गुरु से पूछा
तो गुरु ने कहा की तेरी जिह्वा को बगला जी ही खिंच के ठीक कर सकती है
तू उसी देवी की उपसना कर
उनका बीज मंत्र यह है ( ह्लीं )
फिर क्या था
उसने गुरु से मंत्र व् विधान प्राप्त कर लग गया साधना करने
जब वोह जाप करने लगा तो हकलाने की वजह से ठीक से उच्चारण नहीं कर पाता था
वह एक बार बीज उच्चारण करने के लिए बहुत मेहनत करता था
वह एक बार बीज उच्चारण करने के लिए बहुत मेहनत करता था
।। हिलि हिलि हिलिम स्वाहा ।।
इस प्रकार से उच्चारण करता था किन्तु पूर्ण समर्पण के साथ
माँ को और चाहिए भी क्या ?
समर्पित है तो माँ को ओर कोई दोष नहीं दिखती
की वह उच्चारण सही किया की नहीं
माला फेरा की नहीं
स्टेप बाय स्टेप किया की नहीं
कुछ नही
माँ को बस समर्पण चाहिए होता है
समर्पित है तो माँ को ओर कोई दोष नहीं दिखती
की वह उच्चारण सही किया की नहीं
माला फेरा की नहीं
स्टेप बाय स्टेप किया की नहीं
कुछ नही
माँ को बस समर्पण चाहिए होता है
बस फिर क्या था माँ आ गयी उसके सामने और बोलने लगी के
जा आजके बाद तू कभी हकलायेगा नही
जा आजके बाद तू कभी हकलायेगा नही
यह सुनकर व् माँ को देखकर वह इतना भाव बिभोर हो गया की उसे यह सुध ही नहीं की माँ उस से बात कर रही हैं
माँ ने उसको चेताया
तो वह महान बगला उपासक बिना हकलाये कहने लगा की
माँ मुझे पहले जैसा ही बना दे
मुझे नहीं बोलना दुसरो की तरह
मुझे नहीं बोलना दुसरो की तरह
तो माँ ने पूछा ऐसा क्यों बोल रहा हैं ??
तूने जो मांगा वह तो तुझे दे दिया
तेरी साधना का फल स्वरुप तू अब कभी हकलायेगा नही
तेरी साधना का फल स्वरुप तू अब कभी हकलायेगा नही
वह साधक अब माँ के सामने एक बच्चे की तरह रोने लगा और बोलने लगा
नहीं माँ मेरी हकलाहट की वजह से तूने दर्शन दिए
मै इसे नही छोड़ सकता
नहीं माँ मेरी हकलाहट की वजह से तूने दर्शन दिए
मै इसे नही छोड़ सकता
तब माँ तारा ने जो ज्ञान दिया व् रहस्य खोले
सब सुनकर उसके होश उड़ गए
सब सुनकर उसके होश उड़ गए
माँ ने कहा
बेटा तेरे गुरु ने जो मन्त्र दिया था तूने तो उसका एक बार भी जाप नही किया
जाप करने का प्रयास किया
और इसी प्रयास के दौरान तूने गुरु व् देव् भावना से पुटित
शाबर बगला मंत्र का रचना कर दिए
और मै उसी कारण ही प्रकट हुई
जाप करने का प्रयास किया
और इसी प्रयास के दौरान तूने गुरु व् देव् भावना से पुटित
शाबर बगला मंत्र का रचना कर दिए
और मै उसी कारण ही प्रकट हुई
तूने ( हिलि हिलि हिलिम स्वाहा ) जाप किया हर एक मनके पर
और जो फल मिलना चाहिए था तुझे मिल गया
किन्तु तेरे इस। समर्पण से मै प्रसन्न हूँ
आज तुझे एक वरदान देता हूँ
आज के बाद जो भी इस मंत्र का जप करेगा
उसके समस्त शत्रुओं की वाणी स्तंभित हो जायेगा
पीठ पीछे बुराई नहीं कर पायेगा व् विषम परिस्थितियो में उसकी सुरक्षा के लिए डाकिनियाँ पहुँच जायेंगे
आज तुझे एक वरदान देता हूँ
आज के बाद जो भी इस मंत्र का जप करेगा
उसके समस्त शत्रुओं की वाणी स्तंभित हो जायेगा
पीठ पीछे बुराई नहीं कर पायेगा व् विषम परिस्थितियो में उसकी सुरक्षा के लिए डाकिनियाँ पहुँच जायेंगे
इतना कहकर माँ अंतर्ध्यान हो गयी
वह उठा और भागते हुए गुरु जी के आगे पूरा वृतांत कह सुनाया तो गुरु जी ने उसे गले से लगा लिए
धीरे धीरे उसकी ख्याति चहुँ ओर फ़ैल गया
उसके गुरु के ब्रह्मलीन होने के बाद वह ही दीक्षा देता था लोगो को
किन्तु मंत्र वही देता था
उसके गुरु के ब्रह्मलीन होने के बाद वह ही दीक्षा देता था लोगो को
किन्तु मंत्र वही देता था
।। हिलि हिलि हिलिम स्वाहा ।।
विधान ........
वस्त्र आसनी लाल
आसन सिद्धासन
दिशा उत्तर
माला रुद्राक्ष के
दिन कोई भी
समय कभी भी
अवधि जब तक आप की रूचि हो
कितनी माला जप ??
जितना ज्यादा आप आराम से कर सकते हो
पूजन मानसिक करना है
आसन सिद्धासन
दिशा उत्तर
माला रुद्राक्ष के
दिन कोई भी
समय कभी भी
अवधि जब तक आप की रूचि हो
कितनी माला जप ??
जितना ज्यादा आप आराम से कर सकते हो
पूजन मानसिक करना है
आप चाहे तो माँ की एक चित्र के सामने। द्वीप धुप जलाके सङ्कल्प कर जाप शुरू कर सकते है
आपको कुछ समस्या हो इस पोस्ट को लेकर तो मुझसे सम्पर्क कर सकते हैं
+918123468271
जय माँ तारा
जय गुरु वाम
जय गुरु वाम
सागर जी प्रणाम बहुत समय बाद आज आपकी पोस्ट पढ़ने का समय मिला वैसे तो नैट पर आपको खोज कर आपके ब्लॉग पड़ता रहता हूँ। किंतु आज आपसे अनुरोध है कि आप इस बग्लामुखी शाबर मंत्र की दिक्षा कैसे प्राप्त करूँ कृपया मेरा मार्गदर्शन करें । मैं यह साधना करना चाहता हूं किंतु बिना दिक्षा के संभव नहीं है जानता हूँ। कृपया सहायता करें
ReplyDelete# 8920348256
Aapne ki sadhna
Deleteप्रणाम बहुत समय बाद आज आपकी पोस्ट पढ़ने का समय मिला वैसे तो नैट पर आपको खोज कर आपके ब्लॉग पड़ता रहता हूँ। किंतु आज आपसे अनुरोध है कि आप इस बग्लामुखी शाबर मंत्र की दिक्षा कैसे प्राप्त करूँ कृपया मेरा मार्गदर्शन करें । मैं यह साधना करना चाहता हूं किंतु बिना दिक्षा के संभव नहीं है जानता हूँ। कृपया सहायता करें 8894978806
ReplyDeleteemail rakeshkumar.pu@gmail.com
प्रणाम बहुत समय बाद आज आपकी पोस्ट पढ़ने का समय मिला वैसे तो नैट पर आपको खोज कर आपके ब्लॉग पड़ता रहता हूँ। किंतु आज आपसे अनुरोध है कि आप इस बग्लामुखी शाबर मंत्र की दिक्षा कैसे प्राप्त करूँ कृपया मेरा मार्गदर्शन करें । मैं यह साधना करना चाहता हूं किंतु बिना दिक्षा के संभव नहीं है जानता हूँ। कृपया सहायता करें 8894978806
ReplyDeleteemail rakeshkumar.pu@gmail.com